नविन हे नया हे
जो ऐसाभी नाहे , जो वैसाभी नाहे
हर तरफ से अलग़, हर किसमसे जुदाहे
हवाके बहावों में वो तैरता हे
और नीले समंदर में वो उड़ रहा हे
निरंतर गतिमय हे पर न हिला हे
निरंतर हे स्थिर पर भ्रमण कर रहा हे
ना काया का बंधन ना आकारकी सीमा
ना अग्नि ना वायु ना जल से बना हे
उसे रंग ऐसाहे जो रंग ही ना हे
दिखता नही पर वो सुंदर बड़ा हे
शायद वही कुछ सभीको मिला हे
सभी ने जीया पर पता ना चला हे
वही कुछ को पालु यहीं ललसा मे
वो कुछसे ही कुछ की दुआ कर रहा हे
सभी जानते हे, सभी मानते हे
मगर नाम मे ,धर्म मे वो बटा हे
किसी का इशू हे, किसी का गुरू हे
किसी का हे ईश्वर किसी का खुदा हे
वही कुछ हे सबकुछ, हे उससे सभी कुछ
अगर वो नहीं तो कहीं कुछभी ना हे
कुछतो हे ऐसा जो सब जैसा नाहे
नविन हे नया हे
जो ऐसाभी नाहे , जो वैसाभी नाहे
हर तरफ से अलग़, हर किसमसे जुदाहै
By: श्याम सगर (नाचीज)
Last breath:
खयालों की खाद से ख़ाबों की फसलें
ओर पेचीदें मसलों की नसलें उघाई हे
ख़ाबों के खेत में खटिया बिछाई हे
हमने उमरभर यहि फसल उघाई हे
By: श्याम सगर (नाचीज)

Jordar...
ReplyDeleteHidden talent coming out...
Beautiful journey awaiting..
Keep thriving hard
Thanks alot bhaisaab. Your feedback means alot ☺
Deleteखयालों की खाद से ख़ाबों की फसलें
ReplyDeleteओर पेचीदें मसलों की नसलें उघाई हे
ख़ाबों के खेत में खटिया बिछाई हे
हमने उमरभर यहि फसल उघाई हे
By: श्याम सगर (नाचीज)
ભાઈ ભાઈ
Thanks Anil for regularly giving ur Valuable feedback ☺
DeleteNice one
ReplyDeleteVery nice (नाचीज)
ReplyDeleteThank u Pareshbhai ☺
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteAwesome bhai keep it up
ReplyDelete👍
Thanks Kunal☺
DeleteMast Shyambhai..😊
ReplyDeleteMast Shyambhai..😊
ReplyDeleteThanks Bhavesh ☺
DeleteThanks Bhavesh ☺
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DeleteThank u so much bhai...and this one is niceeeeeee.. 😀
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