बशर्ते ज़िन्दग़ी बड़ी खूब गुज़र रहीहै।
पर कहितो हे कुछ जो पाया नहींहै ??
पानाही हे उसे वो, ज़रूरी तो नहीं है।
पर एक-आद कोशिश के वाक़िये तो हो, ये कशिश भी है।
वो क्या है , कहा है, किधर छुपी है ???
खुशनुमा है ,खुरदुरी है, या बेहद हसीन है ???
जिधर भी है वो, छुप छुप के देखती है।
शायद इधर -उधर से भी गुज़री है।
वो नहीं तो लगता है कुछ नहीं है।
पा भी ले तो ये लगे, ये वो नहीं, कुछ और ही है।
क्या पता ....
वो मौजूदा भी हे के , कभि बनी नहीं है ????
शायद यहीं सवाल -ऍ -ज़िन्दगी है।
जो मिल ग़या उत्तर तो सब सहि है।
वरना ……
बशर्ते ज़िन्दग़ी बड़ी खूब गुज़र रहीहै.....
बड़ी खूब गुज़र रहीहै।
बड़ी खूब गुज़र रहीहै।
By:
श्याम सगर (नाचीज़ )
Last breath:
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तजुरबा होगा
By: Javed Akhtar
